Shri Krishna explains Atma Amar Hai concept - BR Emporium

Bhagavad Gita Shlok Explained: आत्मा नाश नहीं होती

BR Emporium

श्रीमद्भगवद्गीता का श्लोक – आत्मा का रहस्य

श्लोक:

न जायते म्रियते वा कदाचिन्
नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।
अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो
न हन्यते हन्यमाने शरीरे॥

(भगवद्गीता – अध्याय 2, श्लोक 20)

भावार्थ:

आत्मा न कभी जन्म लेती है, न ही कभी मरती है। यह कभी उत्पन्न नहीं हुई थी, ना ही आगे उत्पन्न होगी। आत्मा अजन्मा, नित्य, शाश्वत और पुरातन है। शरीर के नष्ट होने पर भी आत्मा नष्ट नहीं होती।

सरल भाषा में व्याख्या:

भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक में अर्जुन को यह समझा रहे हैं कि जो शरीर दिखाई देता है, वह नाशवान है, लेकिन आत्मा अमर है। आत्मा किसी भी रूप में नष्ट नहीं होती। वह केवल शरीर बदलती है, जैसे हम पुराने वस्त्र छोड़कर नए वस्त्र पहनते हैं।

इस श्लोक से जीवन में क्या सीख मिलती है:

  • मृत्यु एक परिवर्तन है: मृत्यु अंत नहीं है, बल्कि आत्मा का एक नया आरंभ है।
  • नश्वर शरीर, अमर आत्मा: हमें केवल शरीर तक सीमित नहीं रहना चाहिए; आत्मा को समझना ही आध्यात्मिक ज्ञान है।
  • भय से मुक्ति: जब आत्मा न मरती है, न जन्म लेती है — तो मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है।

जीवन में इसका प्रयोग कैसे करें:

यदि हम आत्मा की अमरता को समझ लें, तो संसारिक मोह, भय, और लोभ से ऊपर उठ सकते हैं। जीवन में संतुलन, शांति और स्थिरता आती है। हम दूसरों को शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि आत्मा के रूप में देखना सीखते हैं, जिससे प्रेम और सहिष्णुता बढ़ती है।

BR Emporium का दृष्टिकोण:

BR Emporium की सोच केवल भौतिक वस्तुओं तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मिक सेवा को भी प्राथमिकता देती है। जब भक्त अपने आराध्य की सेवा करते हैं, वस्त्र पहनाते हैं, स्नान कराते हैं या झूला झुलाते हैं — तो वे आत्मा से जुड़ते हैं। हमारी सामग्री उस आत्मिक सेवा को और सुंदर व सुलभ बनाने का माध्यम है।

निष्कर्ष:

यह श्लोक आत्मा की अमरता का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक सिद्धांत बताता है। यह केवल धर्म नहीं, बल्कि जीवन के मूल उद्देश्य की ओर संकेत करता है।

BR Emporium का प्रयास यही है कि हम सब अपने आराध्य के माध्यम से इस आत्मा की सेवा और सत्य को पहचानें।

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