हरियाली तीज के अवसर पर पारंपरिक हरे परिधान में सजी महिलाएं झूला झूलती हुईं, BR Emporium

हरियाली तीज: प्रकृति, प्रेम और भक्ति का उत्सव

BR Emporium

हरियाली तीज उत्तर भारत की महिलाओं द्वारा बड़े उत्साह से मनाया जाने वाला एक पावन पर्व है। यह पर्व श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथिराजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में मनाया जाता है।

हरियाली तीज का पौराणिक महत्व

हरियाली तीज भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। देवी पार्वती ने वर्षों की तपस्या के बाद शिवजी को पति रूप में प्राप्त किया था। यह दिन उनके पवित्र मिलन का उत्सव है और महिलाएं इस दिन व्रत रखकर देवी पार्वती से सुखद वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करती हैं।

सिंदारा तीज: प्रेम और उपहार का मिलन

हरियाली तीज को सिंदारा तीज भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन विवाहित महिलाओं को उनके मायके से सिंदारा (उपहारों की टोकरी) भेजी जाती है। इसमें घेवर, मेहंदी, चूड़ियाँ, वस्त्र और मिठाइयाँ शामिल होती हैं। यह परंपरा न केवल रिश्तों को मजबूत करती है, बल्कि संस्कृति की खूबसूरती को भी दर्शाती है।

पूजन विधि और परंपराएं

  • सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  • देवी पार्वती की मूर्ति या चित्र को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।
  • चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप से पूजा करें।
  • तीज गीत गाएं और झूले का आनंद लें।
  • हरियाली रंग की साड़ी, चूड़ियाँ और मेंहदी लगाकर श्रृंगार करें।

महिलाएं इस दिन झूले डालती हैं, पारंपरिक लोकगीत गाती हैं और आपसी सौहार्द्र बढ़ाती हैं। यह पर्व नारी शक्ति, संस्कृति और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का सुंदर मिश्रण है।

BR Emporium की पूजा सामग्री से तीज को बनाएं और खास

BR Emporium पर हरियाली तीज के लिए विशेष पूजा सामग्री और सौंदर्य उत्पाद उपलब्ध हैं जो इस दिन को और भी सुंदर और पावन बना देते हैं:

  • घेवर और पारंपरिक मिठाइयाँ
  • विशेष श्रृंगार किट - मेंहदी, चूड़ियाँ, बिंदी, काजल आदि
  • देवी पार्वती की पूजा सामग्री
  • हरियाली रंग की पारंपरिक साड़ियाँ और वस्त्र

आप यह सभी वस्तुएं www.bremporium.in से घर बैठे मंगवा सकती हैं और अपने तीज उत्सव को पूर्णता प्रदान कर सकती हैं।

हरियाली तीज: एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव

यह त्योहार केवल पूजा और व्रत का ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक मिलन और स्त्री सशक्तिकरण का भी प्रतीक है। महिलाएं एकत्र होकर लोकगीत गाती हैं, झूले डालती हैं और एक-दूसरे को सिंधारा भेंट करती हैं। यह परंपरा भारतीय संस्कृति की जीवंतता और सामाजिक एकता का संदेश देती है।

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