
देवशयनी एकादशी: भगवान विष्णु की योगनिद्रा का पावन पर्व
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देवशयनी एकादशी, जिसे पद्मा एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और हरि शयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र व्रत माना जाता है। यह एकादशी आषाढ़ शुक्ल पक्षचातुर्मास
विष्णु भगवान की योगनिद्रा और उसका आध्यात्मिक अर्थ
इस दिन यह माना जाता है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग पर शयन करते हैं और आगामी चार मासों तक योगनिद्रा में रहते हैं। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृहप्रवेश आदि नहीं किए जाते। यह काल आत्मचिंतन, भक्ति और तपस्या के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
भगवान विष्णु प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागते हैं, जो कार्तिक शुक्ल पक्ष में आती है। इन चार महीनों को ही चातुर्मास कहा जाता है।
देवशयनी एकादशी का व्रत विधान
व्रत रखने वाले भक्त उपवास करते हैं और दिन भर भगवान विष्णु की पूजा, श्रीमद्भागवत पाठ, विष्णु सहस्रनाम और कीर्तन में लीन रहते हैं।
व्रत का पारण (व्रत तोड़ने की प्रक्रिया) द्वादशी तिथि के भीतर ही किया जाना चाहिए। यह सूर्योदय के बाद किया जाता है और हरि वासर समाप्त होने के बाद ही पारण करना उचित होता है। यदि प्रातःकाल पारण संभव न हो, तो मध्याह्न के बाद भी किया जा सकता है।
व्रत के लाभ और महत्व
पुराणों के अनुसार, जो व्यक्ति श्रद्धा से देवशयनी एकादशी का व्रत करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त होती है और मोक्ष का मार्ग खुलता है। यह व्रत 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के पुण्य के बराबर माना गया है। यह व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है और विष्णु भक्तों के लिए यह विशेष महत्व रखता है।
स्मार्त और वैष्णव व्रतभेद
कभी-कभी दो दिन एकादशी व्रत का उल्लेख आता है। गृहस्थ स्मार्तों के लिए पहला दिन उचित होता है, जबकि वैष्णव या संन्यासी दूसरे दिन व्रत रखते हैं। जो भक्त भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, वे दोनों दिन उपवास करते हैं।
BR Emporium की दिव्य पूजन सामग्री
देवशयनी एकादशी जैसे पावन पर्व पर पूजन सामग्री की शुद्धता अत्यंत आवश्यक होती है। BR Emporium आपके लिए लाया है विशेष पूजन सेट जिसमें शामिल हैं:
- तुलसी माला और विष्णु चरण पादुका
- विशेष चंदन, गंगाजल और पंचामृत सेट
- भगवान विष्णु की चित्र और धातु की मूर्तियाँ
- घी-दीपक सेट, कलश और पूजा थाली
इन सभी वस्तुओं को आप www.bremporium.in से प्राप्त कर सकते हैं और अपने व्रत को अधिक प्रभावशाली और शुद्ध बना सकते हैं।
निष्कर्ष
देवशयनी एकादशी केवल एक व्रत नहीं, बल्कि यह भक्तों के लिए आत्मचिंतन और भक्ति का अमूल्य अवसर है। यह चार महीने का आरंभिक द्वार है जिसमें संयम, उपवास और सेवा भाव का विशेष महत्व होता है। BR Emporium के साथ आप इस व्रत को संपूर्णता और शुद्धता के साथ मना सकते हैं, जिससे आपके जीवन में शुभता और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो।